Thursday, December 19, 2013

एहसास जलते है (Ehsas Jalte Hai)

एहसास  जलते है,
ख्वाब जलते है, 
धुँआ तो कही नहीं,
अरमान जलते है। 

जिया जलते है , 
अश्क पिघलते है ,
इश्क़ कि आंच में,
तुम जलते हो,
हम जलते है। 

तन जलते है ,
मन जलते है ,
पिया मिलन की आस में,
लब जलते है ,
अल्फाज़ जलते है।  

दीये जलते है ,
घर जलते है ,
तेरे मेरे साथ से,
लोग जलते है ,
दुनिया जलती है ।  
                            -- विनीत आर्य

Feelings are burning,
Dreams are burning,
Smoke is nowhere,
And desires are burning.

Hearts are burning,
Tears are melting,
In the fire of love,
You are burning,
And I am burning.

Bodies are burning,
Souls are burning,
In hope of unite,
Lips are burning,
And words are burning.

Lamps are burning,
Houses are burning,
When you are with me,
People are jealous,
The world is envious. 
                      -- Vineet Arya
Ehsas jalte hai, Khwaab jalte hai, Dhuan to kahi nahi, Arman jalte hai, Jiya jalte hai, Ashkh pinghalte hai, ishq ki aanch me, Tum jalte ho, Hum jate hai. Tan jalte hai, Mann jalte hai, Milan ki aas me, Lab jalte hai, Alfaz jalte hai. Diye jalte hai, Ghar jalte hai, Teri meri saath se, Log jalte hai, Duniya jalti hai.--Vineet Arya

Monday, October 21, 2013

चाहत (Chahat)

इतनी शिद्दत से चाहने लगेंगे हम तुम्हें, 
इस बात का इल्म ना था हमें।

लोग कहते है, 
इश्क़ दिल-ए-रोग है, 
इश्क़ लाइलाज मरज़ है।
हमने तो नूर देखा तुममे,   
हमें तो ख़ुदा नज़र आया तुममे।

एक दिन यहाँ ज़िन्दगी मुस्कुराएगी हमारे लिए, 
इस बात पर यकीन ना था हमें।
 
अब तो अजनबी भी पूछते है, 
नाम मेरे हबीब का, 
नाम ले लूँ  तेरा महफ़िल में, 
एक इशारा जो तेरा मिले।
राब्ता जो है तेरे मेरे दरमियान, 
खुशगवार बने जवाब जो हाँ तेरा मिले।

यों तुम इख्तियार करोगे हमें, 
इस बात पर  ऐतबार ना था हमें।
                                     -- विनीत आर्य
Itni shiddat se chahne lageinge hum tumhein,
Is baat ka ilm na tha humein.

Log kahte hai,
ishq dil-e-rog hai,
Ishq la-illaz merjh hai.
Humein to noor dekha tumme.
Humein to khuda dekha tumme.


Ek din yahan muskuraayegi zindagi humare liye,
Is baat par yakeen na tha humein.

Ab to ajnabi bhi poochte hai, naam mere habib ka,
Naam le loon tera mehfil mein , ek isaara jo tera mile.
Raabtaa jo hai tere mere darmiyan,
Khushgawar banne  jawab jo haan tera mile. 

Yon tum ikhtiyaar karoge humein, 
is baat ka aitbaar na tha.
                                                              --Vineet Arya
अर्थ:
शिद्दत         = Passionately, Intensely
इल्म         
= Knowledge
लाइलाज    = Incurable
मरज़          = Malady, Disease
हबीब         = Love one
राब्ता          = Relation, Connection
दरमियान   = Between
खुशगवार  = Pleasant, Happy

इख्तियार  = Choice, Select

Tuesday, September 10, 2013

चाँद सा है रूप तेरा (Chand Sa Hai Roop Tera)

चाँद सा है रूप तेरा,
और मेरे दिल की धड़कन तू।
होश  अब रहे, न रहे मुझे, मेरे होने का,
करीब है जब तू,  मुकम्मल  मैं हो ही गया।

फ़िज़ा में घुले है सारे रंग तेरे,
और मेरे दिल की रंगत तू।
ख़बर अब रहे, न रहे मुझे, मेरे होने की,
इल्तिफ़ात तेरे जब मिला, तुझ पर बिस्मिल मैं हो ही गया।
                                                                 --विनीत आर्य 

अर्थ:
मुकम्मल  = Accomplished
इल्तिफ़ात = Attention, Compliment
बिस्मिल  = Dead fade away, A lover 






Chand sa hai roop tera, Aur mere dil ki dhadkan tu, Hosh ab rahe, na rahe, mujhe mere hone ka, kareeb hai jab tu, mukamal main ho hi gaya. Fiza mein ghulein hai sare rang tere, aur mere dil ki rangat tu, Khabar ab rahe, na rahe, mujhe mere hone ki, Iltifat tere jab mila, tujh par main bismil ho hi gaya. --Vineet Arya

Thursday, September 5, 2013

ख्वाहिशें इतनी तो नहीं थी (Khwaishein Itni To Nahi Thi)

ख्वाहिशें इतनी तो नहीं थी, जो पूरी ना हो सकें।
मंजिलें दूर तो नहीं थी, जहाँ पंहुचा ना जा सकें।
राहें खाली थी,कई मोड़ थे ज़िन्दगी के,
सोचा था के, तू साथ होगा मेरे, मौला।

अब तक तो संभाला था, दर्द जो तूने दिया,
अब संभलता नहीं, आ ले जा तू दर्द अपना।
मुझे भी हक़ है तेरी तरह जीने का,
सोचा था के, तू साथ रहेगा मेरे, मौला।

खुदा तू है पर, खुदाई तेरे बस में नहीं,
मैं यकीन तुझ पर करू कैसे, तू जो मेरे साथ नहीं,
फ़ासले बढे है और ख़ामोशी है छाई,
सोचा था के, रास्ते कभी अलग ना होंगे तेरे-मेरे, मौला।

ख्वाहिशें इतनी तो नहीं थी, जो पूरी ना हो सकें।
मंजिलें दूर तो नहीं थी, जहाँ पंहुचा ना जा सकें।
                                                     --विनीत आर्य


अर्थ:
मौला  = God, Beloved

Khwaishein itni to nahi thi, jo puri na ho sakein. Manzilein door to nahi thi, jahan pahuha na ja sakein. Rahein khali thi, kai mod the zindagi ke, Socha tha ke tu saath hoga mere, maula. Ab tak to sambhala tha, dard jo tune diya, Ab samhalta nahi, aa le ja tu dard apna. Mujhe bhi haq hai teri tarha jeene ka, Socha tha ke tu saath rahega mere, maula. Khuda tu hai par ab khudai tere bas me nahi. Main yakein tujh pe karu kaise, tu to mere saath nahi. Faasle badhey hai aur khamoshi hai chhai, Socha tha ke, rastein alag na honge tere-mere, maula. Khwaishein itni to nahi thi, jo puri na ho sakein. Manzilein door to nahi thi, jahan pahuha na ja sakein. --Vineet Arya

Thursday, August 29, 2013

मैं क्या खेलूँगा किसी के ज़ज्बातों से (Main Kya Khelunga Kisi Ke Zazbaaton Se)

मैं क्या खेलूँगा किसी के ज़ज्बातों से,
मेरे ज़ज्बातों से, कोई पहले ही खेल गया। 
मैं क्या हँसूगा किसी के हालातों पर,
मेरे हालातों पर, कोई पहले ही हँस गया। 

बीते वक़्त ने मुझे, क्या क्या न दिया,

सारी खुशियाँ समेट मुझे दे गया। 
तेरा टकराना मुझे, क्या क्या न दिया,
मेरे जीवन को जीने का बहाना दे गया। 

मैं नदी किनारे पर, 
माँझी को जाते देखा। 
मैं ने आवाज़ दी उसको, 
वो न समझा मेरी सदा को। 
तेरी क्या मजबूरी थी,
जो तू ना रुकी सुन मेरी कई पुकारों को। 

मैं क्या तोडूँगा किसी का दिल,

मेरा दिल कोई पहले ही तोड़ गया। 
मैं क्या रुठूंगा किसी से,
मुझसे कोई पहले ही नाराज़ हो गया। 

बहती लहरें साहिल पर बार बार चली आती है,

जैसे मिलने को किसी से, ये बड़ी बेताब है। 
दुःख और पीड़ा है, मेरे दिल की गहराई में,
जैसे तेरी यादों का, हिसाब मांगती है। 

मेरी रोज़ रात में शमा से बातें होती है।  

इशारों में सही, लेकिन वो जवाब देती है। 
मैं तनहा ग़म और नशे  में ना रहूँ,
सहर होने तक, वो ठहर जाती है।
तेरी क्या बेबसी थी,
जो तू ने कुछ ना कहा मुझसे। 


मैं क्या समझूँगा किसी को,

मुझको कोई पहले ही समझना भूल गया। 
मैं क्या बतलाऊंगा किसी से,
मुझे कोई पहले ही तनहा छोड़ गया। 
                                    --विनीत आर्य

अर्थ:
माँझी = Steerer, A man who sails  boat
सदा  = Call
शमा = candle's flame
सहर = Dawn, Morning

Tuesday, August 27, 2013

आज फिर, तुम्हारी याद आई है(Aaj Phir Tumhari Yaad Aai Hai)

आज फिर, तुम्हारी याद आई है,
फिर कोई बात तुम्हारी  याद आई है। 

सोचता था के भूल जाऊंगा तुम्हें,
आज फिर, वो दास्ताँ याद आई है।

एक दफ़ा कोशिश की थी,
वक़्त को रोक लूं किसी तरह से,
दामन छुड़ा गया वो आहिस्ता आहिस्ता से,
कुछ लम्हें हाथ लगे थे मेरे,
आज फिर, वो लम्हें याद आये है। 

आज फिर, तुम्हारी याद आई है,
फिर कोई बात तुम्हारी  याद आई है। 

जहाँ से शुरू हुआ था, 
मुलाकातों  का सिलसिला;
आज लौट आया वहीं। 
सब सूना सा है यहाँ,
जब ख़याल आया तेरा। 
आज फिर, तुम याद आये,
और वो मुलाकातें याद आई है। 

दिल के कोने में, किया था तुझको दफ़न,
आज दिल रोया तो,
आज फिर, तुम्हारी याद आई है,
फिर कोई बात तुम्हारी  याद आई है।

                                            --विनीत आर्य 
Aaj fir, tummmhari yaad aai hai, fir koi baat tumhari yaad aai hai. Sochta tha ke bhool jaunga tumhe, aaj fir, wo daastaan yaad aai hai. Ek dafa koshish ki thi, Waqt ko rok loon kisi tarha se, Daaman chhuda gaya wo aahista aahista se. Kuch lamhe haath lage the mere, Aaj fir, wo lamhe yaad aaye hai. Aaj fir, tummmhari yaad aai hai, fir koi baat tumhari yaad aai hai. Jahan se suru hua tha, Mulakaton ka silsila, Aaj lout aaya wahin, Sab suna sa hai yahan, Jab khayal aaya tera, Aaj fir, tum yaad aaye, Aur wo mulakatein yaad aai hai. Dil ke kone me, kiya thaa tujhko dafan, aaj dil roya to, aaj fir, tummmhari yaad aai hai. fir koi baat tumhari yaad aai hai. --Vineet Arya

Monday, August 26, 2013

सपने जो मैं देखता हूँ (Sapne Jo Main Dekhta Hoon)


सपने जो मैं देखता हूँ,
सच है या झूठ देखता हूँ,
आँखों में ये बसे है,
क्या रख लूं , क्या बेच दूं, सोचता हूँ।

रंगों में जो मैं घिरा हूँ,
ख़ुशी हो या गम देखता हूँ,
खूबसूरत बनानी है मुझे मेरी दुनिया,
क्या रंग लूं, क्या छोड़ दूं, सोचता हूँ।

                                    --विनीत आर्य 
                                        Download Audio

Sunday, July 21, 2013

मेरे मौला (Mere Maula)

एक ख़याल रखता है तेरा,
एक परेशान करता है तुझे,
दोनों में कितना फ़र्क है, मेरे मौला.
दोनों मैं ही हूँ, 
ये कैसे हो गया, मेरे मौला.

छूता हूँ आसमां को, 
छोटी सी हसरत के लिए.
रो देता है आसमां, 
बदल की आँखों से, मेरे मौला.

रात को मैं चादर ओढ़े चलता हूँ, 
कहीं मेरा चाँद मुझे पहचान ना ले. 
देख कर वो मुझे, फिर से चाहने ना लगे, मेरे मौला.

मैं छिपाऊँ खुद को तुझसे कहाँ, मेरे मौला.
मेरे सांसों में, मेरी धड़कन में तू है, 
मेरे मौला, मेरे मौला.

--विनीत आर्य 
Ek khayal rakhta hai tera, Ek pareshan karta hai tujhe, Dono mein kitna farq hai, mere maula. Dono main hi hoon, Ye kaise ho gaya, mere maula. Chhuta hoon ashma ko, chhoti si hasrat ke liye. Ro deta hai ashma, Badal ki aankho se, mere maula. Raat ko main chadar odhey chalta hoon, kaheen mera chand mujhe pehchan na le. Dekh kar wo mujhe, phir se chahane na lage, mere maula. main chhipaun khud ko tujhse kahan mere maula. Mere sanson mein, meri dhadkan me tu hai, mere maula, mere maula. --Vineet Arya

Wednesday, July 17, 2013

एक ख़याल है ये ज़िन्दगी (Ek Khayal Hai Ye Zindagi)


एक ख़याल वो है जो तन्हाई में तन्हाई दूर कर जाये,
एक ख़याल वो है जो भरी अंजुमन में तन्हा कर जाये। 
मेरे ख़याल में तो एक ख़याल है ये ज़िन्दगी,
पर ज़िन्दगी को ये ख़याल आये कहाँ। 

रुके-चले ये ज़िन्दगी,
कई ख्यालों का बोझ ढो कर,
ना जाने किस मोड़ पे हंसा दे,
ना जाने किस पे रुला दे, ज़िन्दगी। 
एक ख़याल है ये ज़िन्दगी। 

ज़िन्दगी वो नहीं जो हम जीते है,
ज़िन्दगी वो है जो हमारे ख्यालों में है बसी। 
इन्ही ख्यालों को पाना, और इन्ही ख्यालों में खोना,
कहता है कोई, एक ख़याल है ये ज़िन्दगी। 

कोई हो करीब तो लगता है ज़िन्दगी है कुछ,
हो जाये दूर तो एहसास होता है, 
केवल एक ख़याल है ये ज़िन्दगी। 

ख़याल ही उलझाये, 
ख़याल ही सुलझाये, ज़िन्दगी को,
जब होता नहीं सबर ज़िन्दगी को, 
ये ख़याल ही मिटाए ज़िन्दगी को। 

                             --विनीत आर्य
Ek khayal hai ye Zindagi. Ek khayal wo hai jo tanhai me tanhai door kar jaye, Ek khayal wo hai jo bhari anjuman me tanha kar jaye. Mere khayal me to ek khayal hai ye zindagi, Par zindagi ko ye khayal aaye kahan. Rukey-chaley ye zindagi, Kai khayalon ka bojh dho kar, Na jane kisi mod pe hansa de, Na jane kisi pe rula de, Ye zindagi. Ek khayal hai ye Zindagi. Zindagi wo nahi jo hum jeete hai, Zindagi wo hai jo humare khayalon mein hai basi. Inhi khayalon ko paana aur inhi khayalon mein goom hona kahta hai Ek khayal hai ye Zindagi. Koi ho kareeb to lagta hai Zindagi hai kuch, Ho jaye door to ehsas hota hai, kavel Ek khayal hai ye Zindagi. Khayal hi Uljaye, Khayal hi Suljaye, Zindagi ko. Jab hota nahi sabar zindagi ko, ye khayal hi mitaye zindagi ko. --Vineet Arya

Wednesday, May 29, 2013

धड़क जा धड़क जा, ऐ दिल धड़क जा (dhadak ja dhadak ja, aye dil dhadak ja)

धड़क जा धड़क जा,
ऐ दिल धड़क जा।
सांसें रुकी है,
दम है घुटा।
धड़क जा धड़क जा।

सीने में है दर्द होता,
आँखों में है पानी भरा। 
देख तू इस ओर जरा, 
क्या हाल हुआ है मेरा
 धड़क जा धड़क जा,
ऐ दिल धड़क जा।

अकेला नहीं है तू दुनिया में,
साथ हूँ मैं तेरे।
फैली है दूर तक मायूसियाँ - खामोशियाँ,
तेरे जागने का इंतज़ार है अब,
धड़क जा धड़क जा,
ऐ दिल धड़क जा।

देख काली बदरिया है आई,
मैंने कहा है उसे,
बरस जा बरस जा,
ऐ दिल धड़क जा।

सूखी ज़मीन पर,
सूखे है प्राण मेरे।
प्यासा है दिल, 

तडपे है मन मेरा,
तन को भिगो दे। 

 आज जी भर के,
बरस जा बरस जा,
ऐ दिल धड़क जा। 


आँखों की नदियाँ गई है सूख,
दोबारा जल भर दे इन नैनों में।

नैना उम्मीद लगाये बैठे है,
ना ठुकरा इनकी गुज़ारिश को।
एक दफा तू
,
 बरस जा बरस जा,
ऐ दिल धड़क जा। 

बदरिया अब और न तरसा,
देख ये दिल नहीं धड़कता।
होश में हूँ अभी,
मेरे सोने से पहले बरस जा।
धड़क जा धड़क जा,
ऐ दिल धड़क जा। 
                           --विनीत आर्य 
Dhadak ja dhadak ja, aye dil dhadak ja. Saansein ruki hai Dam hai ghuta, Dhadk ja dhadak ja. Seene me hai, dard hota, Ankho me hai, pani bhara, dekh tu is taraf jara, kya haal hua hai mera, Dhadk ja dhadak ja, aye dil dhadak ja. Akela nahi hai tu duniya me. Saath hoon main tere. Faili hai door tak mayusia, Tere jagne ka intezar hai ab, Dhadk ja dhadak ja, aye dil dhadak ja. Dekh kali badariya hai aai. Maine kaha hai use, baras ja baras ja, aye dil dhadak ja. Sukhi zameen par, sukhe hai pran mere. Pyaasa hai dil, tadpe hai mann mera, Tan ko bhigo de, Khila de chaman zameen par. Akhiyan ki nadiyan gai hai sukh. dobara jal bhar de in naino me. baras ja baras ja, aye dil dhadak ja. Badariya ab aur na tarsa, dekh ye dil nahi dhadakta. Hosh me hoon abhi, mere so jane se pehle baras ja. Dhadk ja dhadak ja, aye dil dhadak ja. --Vineet Arya

Thursday, April 18, 2013

सोच के तेरे साथ कोई होगा (Soch ke tere saath koi hoga)


Soch ke tere saath koi hoga
तेरा रंग है कुछ उड़ा  उड़ा,
ऐ मेरी मोहब्बत,
आजा, तू मेरी प्यार की छाओं में,
कुछ पल कर ले तू थोडा आराम सही। 
ना सोच क्या होगा,
सोच के तेरे साथ कोई होगा। 
रंग नहीं कच्चा मेरे इश्क का,
जो वक़्त की धुप में उड़ जाये,
आईना देख तुझ पर रंग चढ़ा होगा। 

तेरी अदा है कुछ खफ़ा खफ़ा,
ऐ मेरी मोहब्बत,
आजा, तू थाम ले मेरे प्यार की ऊँगली,
कुछ पल चल ठंडी रेत पर सही। 
ना सोच क्या होगा,
सोच के तेरे साथ कोई होगा। 
लहरें नहीं ऐसी मेरे इश्क की,
जो यूंही लौट जाये,
तू देख तेरे पांवों तले रेत गीली होगी। 
                                --विनीत आर्य  
Tera rang hai kuch uda uda, Aye meri mohabbat, Aaja tu meri pyaar ki chhaon mein, Kuch pal kar le tu thoda aaram sahi. Na soch kya hoga, Soch ke tere saath koi hoga. Rang nahi kachcha mere ishq ka, Jo waqt ki dhoop mein udh jaye. Aaina dekh tujh par rang chadha hoga. Teri ada hai kuch khafa khafa, Aye meri mohabbat, Aaja tu thaam le mere pyaar ki ungli, Kuch pal chal thandi ret par sahi, Na soch kya hoga, Soch ke tere saath koi hoga. Leherin nahi aisi mere ishq ki, Jo yunhi lot jaye, tere Panvon tale ret gilli hogi. --Vineet Arya

Sunday, March 31, 2013

मैं चला देखने फिर वही सूरतें (Main Chala Dekhne Fir Wahi Suratein)

मैं चला देखने फिर वही सूरतें

मैं चला देखने फिर वही सूरतें.
मैं चला देखने उन्ही गलियों, उन्ही रास्तों पर.
जहाँ गुज़री, बचपन कि हर सुबह हर साँझ.
जहाँ बसी, खुशबू ओस में भीगी मिट्टी की.

कई बरस बाद देखा, मुहल्ले का चेहरा,
पर क्यों ख़ामोश है सभी राहें यहाँ इस तरह?
मैं अजनबी तो नहीं, यहाँ के वासिंदों के लिए, 
फिर क्यों देखते है सभी, मुझे अजनबी कि तरह?

हर तरफ ढूंढ़ती है निगाहें,
मेरी बनाई लकीरें दीवारों पर.
जाने कहाँ धूमिल हो गये गलियों से,
मेरे नन्हे क़दमों के निशान?

कभी लगता है के पीछे से, कोई दे रहा है सदा,
मुड़कर देखा तो, नज़र ना आया, कोई यार मेरा.
कभी लगता है के, कोई साथ चल रहा है मेरे,
ठहर कर देखा तो, नज़र ना आये, साया मेरा.

दूर खाट पर बैठी थी एक बुढ़िया,

पास जा मैंने कहा उको, क्या तुम्हे याद है?
मुस्कुरा कर फेर दिया सर पर हाथ मेरे,
चूम कर माथा मेरा बोली, 
मैंने तुझे पहचान लिया.

देखी उसकी सूरत, झुर्रियों से भरी,
कैसे पहचानू अब उसे?
क्या कह पुकारूँ अब उसे?
शकलें तो अब याद नहीं,
क्या नाम दूँ अब उसे?
मन में कई कहानियां है,
पर नाम सब गुम है.
                                     --विनीत आर्य

Thursday, March 21, 2013

तेरे चेहरे का नूर (Tere Chehre Ka Noor)

तेरे चेहरे का नूर,
मेरे अल्फाजों में बयां होता है.

आती है सूरज कि रौशनी,
नाम बदल रात को,
ये चाँद को कहाँ पता होता है.
जब देखता है चाँद तुझे एक टूक,
इस बात का एहसास,
मेरी ख़ामोशी में बयां होता है.

रोशन कर देता है जब ये आफ़ताब,
तेरी कशिश को मेरे जिया में.
तेरी हर अदा मेरे बातों में बयां होती है.

शबनमी होठों पर अंगड़ाई लेती पानी कि एक बूँद मुस्कुराती है.
वो जलाती है जिया किसी का, उसको यह ख़बर कहाँ होती है.
जब बूँद ठहर तेरे होठों से रपट जाती है,
इस बात का सुकून,
मेरे दिल-ए-नवाजी में बयां होता है.
                                                                    --विनीत आर्य
Tere chehre ka noor, Mere alfazon me bayan hota hai. Aati hai suraj ki roshni, naam badal raat ko, ye chaand ko kahan pata hota hai. Jab dekhta hai chand tujhe ek took, Is baat ka ehsas, meri khamoshi se bayaan hota hai. Roshan kar deta hai jab ye aaftaab, teri kashish ko mere jiya me. Teri har ada mere baaton se bayan hoti hai. Shabnami hothon par angdai leti, paani ki ek boond muskurati hai. Wo jalati hai jiya kisi ka, usko yeh khabar kaha hoti hai. Jab Boond thahar tere hothon se rapat jati hai, is baat ka Sukuun, Mere dil-e-nawaji me bayan hota hai. --Vineet Arya

Tuesday, February 26, 2013

आज तो आई है क़यामत ( Aaj To Aai Hai Qayamat)

आज तो आई है क़यामत, मेरे इश्क का चोला ओढ़ कर.
अब परवाह है किसे जान की, देखने दो मुझे रंग मेरे इश्क का.
                                                                         --विनीत आर्य




Aaj to aai hai qayamat mere ishq ka chola odh kar.
Ab parwaah hai kise jaan ki, dekhne do mujhe rang mere ishq ka.
                                                                                         --Vineet Arya

देखते है अब कौन क्या लिखता है(Dekhte Hai Ab Kaun Kya Likhta Hai)

क्यों करते है लोग इश्क, 
ये फ़लसफ़ा मुझे समझ नहीं आता,
चलो खोल दिए मैंने कोरे पन्ने अपनी जिंदगी के,
देखते है अब कौन क्या लिखता है.
   
                                     --विनीत आर्य


Kyun karte hai log ishq, 
Ye falasfaha mujhe samajh nahi aata,
Chalo khol deye maine kore panne apni zindgi ke,
Dekhte hai ab kaun kya likhta hai.

                                    -Vineet Arya


अर्थ:
फ़लसफ़ा = falasafa = Philosophy


जिया ग़ालिब है (Jiya Ghalib Hai)

जिया ग़ालिब  है, ग़ालिब विनीत है.
देख मेरे रंग को, तेरा हर रंग मामूली है.

                                     -विनीत आर्य



Jiya ghalib hai, ghalib vineet  hai.
dekh mere rang ko, tera har rang mamuli hai.

                                     -Vineet Arya



वर्णन:
दिल जो जीत लेता है वो शिष्ट है.
देख इसकी अच्छाइयों को, तुम्हारी सब अच्छाई बेकार है.

Vineet = decent; 
Ghalib = victorious; 
Rang = good qualities/characteristics


Tuesday, January 15, 2013

मोरी अलबेली सी बातें (Mori Albeli Si Baatein)

मोरी अलबेली सी बातें,
काहे करे परेशान तोहे?
क्या इश्क दा रोग लागा मोसे?
या कोई बात सताए?


मोरी सजीली सी निगाहें,
काहे करे परेशान तोहे?
क्या छुपये तोरे ये नैना मोसे?
या कोई सवाल सताए?


मोरी नरम सी साँसे,
काहे करे परेशान तोहे?
क्या लगन सी लगी मोसे?
या कोई ज़ज्बात सताए?


मोरी धीमी सी मुस्कान,
काहे करे परेशान तोहे?
क्या लज्जाये तोहे मोसे?
या कोई ख़याल सताए?

 
मोरी अलबेली सी बातें,
काहे करे परेशान तोहे?
क्या इश्क दा रोग लागा मोसे?
या कोई बात सताए?
                               

                                     -विनीत आर्य

Tuesday, January 1, 2013

क्या कहें हम उन्हें (Kya Kahein Hum Unhe)

जब बड़ी खामोशी से,
देखते है वो हमें,
तब समझ न आये,
क्या कहें हम उन्हें!

बात सिर्फ इश्क की होती तो,
मान भी जाते,
वो बेवफा निकले तो,
क्या कहें हम उन्हें!

रंज मुझे उनकी बेवफाई से नहीं,
गम मुझे उनकी जुदाई का है.
शायद अच्छा होता अगर,
जुदा हो कर मर जाते हम.
मगर जी गए है तो,
क्या कहें हम उन्हें!

इतना आसान होता अगर,
इश्क कर भूल जाना,
तो कब के  भूल गए होते.
वो हमें नासमझ समझे तो,
क्या कहें हम उन्हें!

किसी दिन किसी मोड़ पर,
वो हमें आ मिले,
दे इश्क की दुहाई वो,
इश्क का क़तल करने को कह गए हमें,
बेवफा, अगर हम क़ातिल होते,
तो कब का क़तल कर दिए होते.
वो हमारे इश्क को न समझे तो,
क्या कहें हम उन्हें!
                                        -विनीत आर्य