मैं चला देखने फिर वही सूरतें
मैं चला देखने फिर वही सूरतें.मैं चला देखने उन्ही गलियों, उन्ही रास्तों पर.
जहाँ गुज़री, बचपन कि हर सुबह हर साँझ.
जहाँ बसी, खुशबू ओस में भीगी मिट्टी की.
कई बरस बाद देखा, मुहल्ले का चेहरा,
पर क्यों ख़ामोश है सभी राहें यहाँ इस तरह?
मैं अजनबी तो नहीं, यहाँ के वासिंदों के लिए,
फिर क्यों देखते है सभी, मुझे अजनबी कि तरह?
हर तरफ ढूंढ़ती है निगाहें,
मेरी बनाई लकीरें दीवारों पर.
जाने कहाँ धूमिल हो गये गलियों से,
मेरे नन्हे क़दमों के निशान?
कभी लगता है के पीछे से, कोई दे रहा है सदा,
मुड़कर देखा तो, नज़र ना आया, कोई यार मेरा.
कभी लगता है के, कोई साथ चल रहा है मेरे,
ठहर कर देखा तो, नज़र ना आये, साया मेरा.
दूर खाट पर बैठी थी एक बुढ़िया,
पास जा मैंने कहा उसको, क्या तुम्हे याद है?
मुस्कुरा कर फेर दिया सर पर हाथ मेरे,
चूम कर माथा मेरा बोली,
मैंने तुझे पहचान लिया.
देखी उसकी सूरत, झुर्रियों से भरी,
कैसे पहचानू अब उसे?
क्या कह पुकारूँ अब उसे?
शकलें तो अब याद नहीं,
क्या नाम दूँ अब उसे?
मन में कई कहानियां है,
पर नाम सब गुम है.
--विनीत आर्य
I and Old face
I went to
see those faces again;
I walked
to see those streets and paths.
Where I
spent my childhood’s every day and night.
Where the
scent of dew soaked soil resides.
I see this neighborhood after a long time, but why is it so serene all around?
I was no stranger to them, yet why do they look at me like that?
Every wall I peered upon, yearning for a glimpse of the markings I left as a child.
Where have they gone from the streets, the trails of my little footsteps.
Sometimes I felt a friendly voice calling from behind,
When I looked back I did not see any friend of mine.
Sometimes I felt someone walking with me,
When I stopped, I did not see even a trace of mine.
An old woman was sitting on a cot far away,
I went and asked her, do you remember?
She smiled and caressed her hand over my head,
She kissed my forehead and said,
I have recognized you.
I saw her face, full of wrinkles,
Now how do I recognize her?
What was I supposed to call her?
I can’t remember any faces,
What should I name her?
My mind is filled up with many stories,
But names are all missing.
–Vineet Arya
Good Vinnet. Keep up the pace and maintain the continuity. I can see a rising kavi here...
ReplyDeleteThank you Sir :)
DeletePar Kavi dekh sab door bhag jate hai :P
good one, touching to heart
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