आज फिर, तुम्हारी याद आई है,
फिर कोई बात तुम्हारी याद आई है।
सोचता था के भूल जाऊंगा तुम्हें,
आज फिर, वो दास्ताँ याद आई है।
एक दफ़ा कोशिश की थी,
वक़्त को रोक लूं किसी तरह से,
दामन छुड़ा गया वो आहिस्ता आहिस्ता से,
कुछ लम्हें हाथ लगे थे मेरे,
आज फिर, वो लम्हें याद आये है।
आज फिर, तुम्हारी याद आई है,
फिर कोई बात तुम्हारी याद आई है।
जहाँ से शुरू हुआ था,
मुलाकातों का सिलसिला;
आज लौट आया वहीं।
सब सूना सा है यहाँ,
जब ख़याल आया तेरा।
आज फिर, तुम याद आये,
और वो मुलाकातें याद आई है।
दिल के कोने में, किया था तुझको दफ़न,
आज दिल रोया तो,
आज फिर, तुम्हारी याद आई है,
फिर कोई बात तुम्हारी याद आई है।
--विनीत आर्य
I lyk dis vry much bt full of pain
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