मैं क्या खेलूँगा किसी के ज़ज्बातों से,
मेरे ज़ज्बातों से, कोई पहले ही खेल गया।
मैं क्या हँसूगा किसी के हालातों पर,
मेरे हालातों पर, कोई पहले ही हँस गया।
बीते वक़्त ने मुझे, क्या क्या न दिया,
सारी खुशियाँ समेट मुझे दे गया।
तेरा टकराना मुझे, क्या क्या न दिया,
मेरे जीवन को जीने का बहाना दे गया।
मैं नदी किनारे पर,
माँझी को जाते देखा।
मैं ने आवाज़ दी उसको,
वो न समझा मेरी सदा को।
तेरी क्या मजबूरी थी,
जो तू ना रुकी सुन मेरी कई पुकारों को।
मैं क्या तोडूँगा किसी का दिल,
मेरा दिल कोई पहले ही तोड़ गया।
मैं क्या रुठूंगा किसी से,
मुझसे कोई पहले ही नाराज़ हो गया।
बहती लहरें साहिल पर बार बार चली आती है,
जैसे मिलने को किसी से, ये बड़ी बेताब है।
दुःख और पीड़ा है, मेरे दिल की गहराई में,
जैसे तेरी यादों का, हिसाब मांगती है।
मेरी रोज़ रात में शमा से बातें होती है।
इशारों में सही, लेकिन वो जवाब देती है।
मैं तनहा ग़म और नशे में ना रहूँ,
सहर होने तक, वो ठहर जाती है।
तेरी क्या बेबसी थी,
जो तू ने कुछ ना कहा मुझसे।
मैं क्या समझूँगा किसी को,
मुझको कोई पहले ही समझना भूल गया।
मैं क्या बतलाऊंगा किसी से,
मुझे कोई पहले ही तनहा छोड़ गया।
--विनीत आर्य
अर्थ:
माँझी = Steerer, A man who sails boat
सदा = Call
शमा = candle's flame
सहर = Dawn, Morning
मेरे ज़ज्बातों से, कोई पहले ही खेल गया।
मैं क्या हँसूगा किसी के हालातों पर,
मेरे हालातों पर, कोई पहले ही हँस गया।
बीते वक़्त ने मुझे, क्या क्या न दिया,
सारी खुशियाँ समेट मुझे दे गया।
तेरा टकराना मुझे, क्या क्या न दिया,
मेरे जीवन को जीने का बहाना दे गया।
मैं नदी किनारे पर,
माँझी को जाते देखा।
मैं ने आवाज़ दी उसको,
वो न समझा मेरी सदा को।
तेरी क्या मजबूरी थी,
जो तू ना रुकी सुन मेरी कई पुकारों को।
मैं क्या तोडूँगा किसी का दिल,
मेरा दिल कोई पहले ही तोड़ गया।
मैं क्या रुठूंगा किसी से,
मुझसे कोई पहले ही नाराज़ हो गया।
बहती लहरें साहिल पर बार बार चली आती है,
जैसे मिलने को किसी से, ये बड़ी बेताब है।
दुःख और पीड़ा है, मेरे दिल की गहराई में,
जैसे तेरी यादों का, हिसाब मांगती है।
मेरी रोज़ रात में शमा से बातें होती है।
इशारों में सही, लेकिन वो जवाब देती है।
मैं तनहा ग़म और नशे में ना रहूँ,
सहर होने तक, वो ठहर जाती है।
तेरी क्या बेबसी थी,
जो तू ने कुछ ना कहा मुझसे।
मैं क्या समझूँगा किसी को,
मुझको कोई पहले ही समझना भूल गया।
मैं क्या बतलाऊंगा किसी से,
मुझे कोई पहले ही तनहा छोड़ गया।
--विनीत आर्य
अर्थ:
माँझी = Steerer, A man who sails boat
सदा = Call
शमा = candle's flame
सहर = Dawn, Morning
No comments:
Post a Comment