सपने जो मैं देखता हूँ,
सच है या झूठ देखता हूँ,
आँखों में ये बसे है,
क्या रख लूं , क्या बेच दूं, सोचता हूँ।
रंगों में जो मैं घिरा हूँ,
ख़ुशी हो या गम देखता हूँ,
खूबसूरत बनानी है मुझे मेरी दुनिया,
क्या रंग लूं, क्या छोड़ दूं, सोचता हूँ।
--विनीत आर्य
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