एक ख़याल रखता है तेरा,
एक परेशान करता है तुझे,
दोनों में कितना फ़र्क है, मेरे मौला.
दोनों मैं ही हूँ,
ये कैसे हो गया, मेरे मौला.
छूता हूँ आसमां को,
छोटी सी हसरत के लिए.
रो देता है आसमां,
बदल की आँखों से, मेरे मौला.
रात को मैं चादर ओढ़े चलता हूँ,
कहीं मेरा चाँद मुझे पहचान ना ले.
देख कर वो मुझे, फिर से चाहने ना लगे, मेरे मौला.
मैं छिपाऊँ खुद को तुझसे कहाँ, मेरे मौला.
मेरे सांसों में, मेरी धड़कन में तू है,
मेरे मौला, मेरे मौला.
--विनीत आर्य
एक परेशान करता है तुझे,
दोनों में कितना फ़र्क है, मेरे मौला.
दोनों मैं ही हूँ,
ये कैसे हो गया, मेरे मौला.
छूता हूँ आसमां को,
छोटी सी हसरत के लिए.
रो देता है आसमां,
बदल की आँखों से, मेरे मौला.
रात को मैं चादर ओढ़े चलता हूँ,
कहीं मेरा चाँद मुझे पहचान ना ले.
देख कर वो मुझे, फिर से चाहने ना लगे, मेरे मौला.
मैं छिपाऊँ खुद को तुझसे कहाँ, मेरे मौला.
मेरे सांसों में, मेरी धड़कन में तू है,
मेरे मौला, मेरे मौला.
--विनीत आर्य
Nice lines...
ReplyDeleteVery touching.
ReplyDelete