Tuesday, January 1, 2013

क्या कहें हम उन्हें (Kya Kahein Hum Unhe)

जब बड़ी खामोशी से,
देखते है वो हमें,
तब समझ न आये,
क्या कहें हम उन्हें!

बात सिर्फ इश्क की होती तो,
मान भी जाते,
वो बेवफा निकले तो,
क्या कहें हम उन्हें!

रंज मुझे उनकी बेवफाई से नहीं,
गम मुझे उनकी जुदाई का है.
शायद अच्छा होता अगर,
जुदा हो कर मर जाते हम.
मगर जी गए है तो,
क्या कहें हम उन्हें!

इतना आसान होता अगर,
इश्क कर भूल जाना,
तो कब के  भूल गए होते.
वो हमें नासमझ समझे तो,
क्या कहें हम उन्हें!

किसी दिन किसी मोड़ पर,
वो हमें आ मिले,
दे इश्क की दुहाई वो,
इश्क का क़तल करने को कह गए हमें,
बेवफा, अगर हम क़ातिल होते,
तो कब का क़तल कर दिए होते.
वो हमारे इश्क को न समझे तो,
क्या कहें हम उन्हें!
                                        -विनीत आर्य

5 comments:

  1. Bina pyar karay ye haal hai, pyar karne ke baad kya hoga be :P

    mast likhi hai

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  2. kon jaane mirtyu bhaiya...kiske dil me kitne raaz dafan h....

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  3. Bahut khub likha hai ! pyar wafa ka jam tumahare nam

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  4. kya likha hai vineet...wah..kya baat kya baat

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  5. kya likha hai vineet...wah..kya baat kya baat

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