कैसे कह दूँ के...
Google, copyright-free image under Creative Commons License |
कैसे कह दूँ के
इश्क़ नहीं है तुमसे।
कैसे झूठला दूँ के
ताल्लुक़ नहीं है तुमसे।
जो हमें जुस्तजू
ना होती तुम्हारी,
तो तुम्हीं कहो के
मेरी तसव्वुर में तुम हो क्यों?
मेरे जीवन की
मुमताज़ खोज हो तुम।
मेरे ख़्यालो की
मंजुल कहानी हो तुम।
बज़्म में तो हम
मुस्कुरा लेते है।
जो हमें परवाह
ना होती तुम्हारी,
तो तुम्हीं कहो के
तन्हाई में हम रोते है क्यों?
--विनीत आर्य ।
अर्थ:
ताल्लुक़: Attachment
जुस्तुजू : Desire, quest
तसव्वुर : Hallucination
मुमताज़ :Distinguished
मंजुल :Beautiful
बज़्म :Gathering
No comments:
Post a Comment