Sunday, January 3, 2016

आज सोचा के तुम्हें अपनी ग़ज़ल बनाये हम (Aaj Socha Ke Tumhe Apni Ghazal Banaye Hum)

आज सोचा के तुम्हें अपनी ग़ज़ल बनाये हम




आज सोचा के तुम्हें अपनी ग़ज़ल बनाये हम।
तुमको बताएं तुम्हें दिल में छिपाए है हम।

तुम्हारी मुलाकातों से, दिल खिल-खिलाता है।
तुम्हें देख कर मेरा हर अंग मुस्कुराता है।

तुम ना होते तो बड़ा मुस्किल होता ये सफर।
शुक्रिया साथ मुझे ले चलने के लिए।

सारे ज़ज़्बात जुबान तक ना ला सकूँ मैं।
शुक्रिया मेरी आँखे पढ़ कर समझने के लिए।

आज सोचा के तुम्हारी बांहों में हो हम।
और तुमको सारी रैना कहें अपनी ग़ज़ल हम।

                                           --विनीत आर्य
Aaj socha ke tumhein apni ghazal banaye hum. Tum ko batayein tumhein dil me chhipaye hai hum. Tumhari mulakaton se, dil khil khilata hai. Tumhein dekh kar mera har ang muskurata hai. Tum na hote to bada muskil hota ye safar, Shukriya saath mujhe le chalne ke liye. Saare zazbat juban tak na la sakun main Shukriya meri ankhe padh kar samjhne ke liye. Aaj socha ke tumhari bhaon mein ho hum. Aur tumko saari raina kahein apni gazal hum. --Vineet Arya

No comments:

Post a Comment