हम तो खाये बैठे है दिल पर ज़ख़्म कई,
वो सोचते है इत्मीनान से बैठे है।
उन्हें क्या मालूम क्या ख़बर,
क्या हम दिल में लिए बैठे है।
चुभती है सीने में उनकी ये बेरुखी,
वो क्या जाने कैसे खुद को संभाले बैठे है।
वो कभी हमसे नज़र मिलाएं तो जाने,
किस तरह जलकर भीतर से ख़ाक हुए बैठे है।
बूत-ए-मोम तो नहीं मैं जो योंही जल जाऊं।
मांस का जिस्म है, सुलग-सुलग कर जलता है।
होठों पे बनावटी लकीर है मगर,
वो चेहरे से रौनक उड़ाए बैठे है।
वो हैरां क्यों है हमें देख कर, इस बात से हैरां हम है।
ये कैसी कश्मकशे हम दोनों दिल में लिए बैठे है।
कायल थे जो हमारी अदाओं के,
वो हमसे सारे सुख-चैन लूटे बैठे है।
इश्क़ में सोलो पर चलना अलग बात थी।
मगर ना जाने क्यों वो अब पाँव जलाए बैठे है।
इश्क़ रगों में दौड़ा करता था जिनके,
वो अपनी नव्ज़ काटे बैठे है।
--विनीत आर्य
वो सोचते है इत्मीनान से बैठे है।
उन्हें क्या मालूम क्या ख़बर,
क्या हम दिल में लिए बैठे है।
चुभती है सीने में उनकी ये बेरुखी,
वो क्या जाने कैसे खुद को संभाले बैठे है।
वो कभी हमसे नज़र मिलाएं तो जाने,
किस तरह जलकर भीतर से ख़ाक हुए बैठे है।
बूत-ए-मोम तो नहीं मैं जो योंही जल जाऊं।
मांस का जिस्म है, सुलग-सुलग कर जलता है।
होठों पे बनावटी लकीर है मगर,
वो चेहरे से रौनक उड़ाए बैठे है।
वो हैरां क्यों है हमें देख कर, इस बात से हैरां हम है।
ये कैसी कश्मकशे हम दोनों दिल में लिए बैठे है।
कायल थे जो हमारी अदाओं के,
वो हमसे सारे सुख-चैन लूटे बैठे है।
इश्क़ में सोलो पर चलना अलग बात थी।
मगर ना जाने क्यों वो अब पाँव जलाए बैठे है।
इश्क़ रगों में दौड़ा करता था जिनके,
वो अपनी नव्ज़ काटे बैठे है।
--विनीत आर्य
अर्थ:
इत्मीनान : Easygoing
कशमकश : Dilemma
कायल :Impressed, Admirer
नव्ज़ : Vein
इत्मीनान : Easygoing
कशमकश : Dilemma
कायल :Impressed, Admirer
नव्ज़ : Vein