Saturday, May 7, 2016

हम तो खाये बैठे है (Hum Toh Khaye Baithe Hai)



हम तो खाये बैठे है दिल पर ज़ख़्म कई,
वो सोचते है इत्मीनान से बैठे है।
उन्हें क्या मालूम क्या ख़बर,
क्या हम दिल में लिए बैठे है।

चुभती है सीने में उनकी ये बेरुखी,

वो क्या जाने कैसे खुद को संभाले बैठे है।
वो कभी हमसे नज़र मिलाएं तो जाने,
किस तरह जलकर भीतर से ख़ाक हुए बैठे है।

बूत-ए-मोम तो नहीं मैं जो योंही जल जाऊं।

मांस का जिस्म है, सुलग-सुलग कर जलता है।
होठों पे बनावटी लकीर है मगर,
वो चेहरे से रौनक उड़ाए बैठे है।

वो हैरां क्यों है हमें देख कर, इस बात से हैरां हम है।

ये कैसी कश्मकशे हम दोनों दिल में लिए बैठे है।
कायल थे जो हमारी अदाओं के,
वो हमसे सारे सुख-चैन लूटे बैठे है।

इश्क़ में सोलो पर चलना अलग बात थी।

मगर ना जाने क्यों वो अब पाँव जलाए बैठे है।
इश्क़ रगों में दौड़ा करता था जिनके,
वो अपनी नव्ज़ काटे बैठे है।
                                              --विनीत आर्य 
अर्थ:
इत्मीनान             : Easygoing
कशमकश          : Dilemma
कायल                :Impressed, Admirer
नव्ज़                   : Vein
Hum toh khaye baithe hai dil par zakham kai, wo sochte hai itminan se baithe hai. Unhein kya maloom kya khabar kya dil mein liye baithe hai. Chubhti hai seney mein unki ye berukhi, wo kya jane kaise khud ko sambhaley baithe hai. Wo kabhi humse nazar milayein to jaane, Kis tarha jal kar bhitar se khaakh huye baithe hai. But-e-mom to nahi main jo youn hi jal jaoon, maas ka jism hai, sulag-sulag kar jalta hai. Hoton pe banavti lakeer hai magar wo chehre se ronak udaye baithe hai. Wo heinra kyun hai humein dekh kar is baat se heinra hum hai, ye kaisi kashmkash hum dono dil mein liye baithe hai. kayal the jo humari adaon ke, Wo humse saare sukh-chain loote baithe hai. Ishq mein solo par chalna alag baat thi, magar naa jaane kyun wo ab paon jaalaye baithe hai. Ishq rago mein dauda karta tha jinke wo apni haath ki navz kaate baithe hai. (wo apni navz thamey baithe hai.)-Vineet Arya