कौन मांगे है ज़िन्दगी से ज़िन्दगी
कौन मांगे है ज़िन्दगी से ज़िन्दगी,
मौत सामने खड़ी हो तो प्यारी लागे है ज़िन्दगी।
मैं सोया हूँ कई ख़्वाब संजोने के लिए,
मुझसे ज़रा और मोहलत मांगे है ज़िन्दगी।
लोग लबों को ताकते है मेरे,
मैं खामोश हूँ क्यूंकि खामोश है ज़िन्दगी।
लपेटा है सफेद कपडे में मुझे,
मगर अंदर से अभी लाल है ज़िन्दगी।
कब उम्र गुज़र गई संघर्ष में, कुछ मालूम ना पड़ा;
वक़्त के आख़री पड़ाव में अलविदा कहे है ज़िन्दगी।
शव खाए कागा और खाए दिल-ए-हिज्र भी,
शायद यूं ही अंत होती है ज़िन्दगी।
--विनीत आर्य
अर्थ:
आख़री पड़ाव : Last stage
शव : Carcass
कागा: Raven, Crow
दिल-ए-हिज्र : Heart's compassion, pain
अंत : End