Saturday, December 20, 2014

कौन मांगे है ज़िन्दगी से ज़िन्दगी (Kaun maange hai zindagi se Zindagi)

कौन मांगे है ज़िन्दगी से ज़िन्दगी





कौन मांगे है ज़िन्दगी से ज़िन्दगी,
मौत सामने खड़ी हो तो प्यारी लागे है ज़िन्दगी।
मैं सोया हूँ कई ख़्वाब संजोने के लिए, 

मुझसे ज़रा 
और मोहलत मांगे है ज़िन्दगी।

लोग लबों को ताकते है मेरे,
मैं खामोश हूँ क्यूंकि खामोश है ज़िन्दगी।
लपेटा है सफेद कपडे में मुझे,
मगर अंदर से अभी लाल है ज़िन्दगी। 


कब उम्र गुज़र गई संघर्ष में, कुछ मालूम ना पड़ा;
वक़्त के आख़री पड़ाव में अलविदा कहे है ज़िन्दगी। 
शव खाए कागा और खाए दिल-ए-हिज्र भी,
शायद यूं ही अंत होती है ज़िन्दगी।
                               --विनीत आर्य

अर्थ:
आख़री पड़ाव : Last stage
शव : Carcass
कागा: Raven, Crow
दिल-ए-हिज्र : Heart's compassion, pain
अंत : End

Kaun maange hai zindagi se Zindagi,
Maut saamne khadi ho to pyaari laagey hai zindagi.
Main soya hoon kai khawab sanjoney ke liye,
Mujhse zara aur mohlat maange hai zindagi.

Log labbo ko taakhte hai mere,
Main khamosh hoon kyunki khamosh hai zindagi.
Lapeta hai safad kapde mein mujhe,
Magar andar se abhi laal hai zindagi.

Kab umr gujar gayi "sangharsh" mein, kuch maloom naa pada .
Waqt ke aakhri padav mein alvida kahe hai zindagi.
Shav khaye kaga aur khaye dil-e-hijr bhi,
Shayad yunhi ant hoti hai zindagi.

--Vineet Arya