मेरी गज़ल मेरी कहानी
जाने कब रुक जाये सफर ज़िन्दगी का,
सारी यादें साथ लिए चलता हूँ।
ग़ज़लें नहीं आप बीती है ये,
सारे नग़में गुनगुनाते-गाते चलता हूँ।
महफ़िल मिल जाये कहीं तो,
हुस्न-ए-मत्ला कहता चलता हूँ ।
सजदागाह मिल जाये तो,
मुनाजात सुनाता चलता हूँ ।
तख़ल्लुस कुछ भी मान लिए ग़ज़ल का,
उसकी इनायत रहे "विनीत" पर ये अरमान लिए चलता हूँ।
--विनीत आर्य
अर्थ:
नग़में : Songs
महफ़िल : Gathering
हुस्न-ए-मत्ला : The art of rhyming of the first two lines of a Ghazal.
सजदागाह : A place of worship
मुनाजात : An expressive couplet sung as a prayer to god.
तख़ल्लुस : The pen name of the poet, by which he is known in the fictional/literary world.
इनायत : Blessing