वो सपने क्यों देखती है आँखें जो सच होते नहीं।
जब सच होते नहीं, तो क्यों देखती है आँखें वो सपने।
अब तक, दरीचे से लोगो को बिकते देखा था,
आज कुछ हालात ऐसे है, खुद को बेचने घर से निकला हूँ।
जब सच होते नहीं, तो क्यों देखती है आँखें वो सपने।
अब तक, दरीचे से लोगो को बिकते देखा था,
आज कुछ हालात ऐसे है, खुद को बेचने घर से निकला हूँ।
बता ताजिर मेरी क्या कीमत है? सपनों का क्या मोल है?
मैं बिकने को तैयार हूँ, अगर मेरे सपने साथ खरीदे कोई।
आया था बाजार में सोच कर मेरा कोई दाम होगा,
मालूम होता है, खरीदारों की इस मंडी में, मेरा कोई खरीदार नहीं।
बस यहाँ जिस्म बिकते है,
इंसानो का कोई मोल नहीं, सपनो का कोई मोल नहीं।
अब तक तो मेरे ज़ख्मों का रंग बदल जाना था,
इन पर दवा बेतासीर और दुआ बेअसर।
क्या भेष बनाऊं मैं अपना, सब अजनबी है यहाँ;
कोई यहाँ मेरा नहीं, अपना नहीं।
वो सपने क्यों देखती है आँखें जो सच होते नहीं।
जब सच होते नहीं, तो क्यों देखती है आँखें वो सपने।
मैं बिकने को तैयार हूँ, अगर मेरे सपने साथ खरीदे कोई।
आया था बाजार में सोच कर मेरा कोई दाम होगा,
मालूम होता है, खरीदारों की इस मंडी में, मेरा कोई खरीदार नहीं।
बस यहाँ जिस्म बिकते है,
इंसानो का कोई मोल नहीं, सपनो का कोई मोल नहीं।
अब तक तो मेरे ज़ख्मों का रंग बदल जाना था,
इन पर दवा बेतासीर और दुआ बेअसर।
क्या भेष बनाऊं मैं अपना, सब अजनबी है यहाँ;
कोई यहाँ मेरा नहीं, अपना नहीं।
वो सपने क्यों देखती है आँखें जो सच होते नहीं।
जब सच होते नहीं, तो क्यों देखती है आँखें वो सपने।
-विनीत आर्य
अर्थ : Meaning
ताजिर : Dealer
दरीचे : Through window
बेतासीर : Ineffective
बेअसर : Ineffective, Useless